05 सवाल के 05 जवाब
आज हम आप के जनरल नॉलेज को तेज करने के लिए आप के लिए लाए है 10 सवाल जो आपके ज्ञान को बढ़ाके आप को अपनी जॉब से रिलेटेड व अपने संतोष के लिए काफी मददगार साबित होंगे ! तो चलिए जानते है 10 सवालों के 10 जवाब !
01 किस घटना ने भारत को ग़ुलाम बनाया ?

कभी कभी बिल्कुल सामन्य सी लगनी वाली घटना इतिहास को गजब का मोड़ दे देती है । 15 वी सदी के दौरान भारत के साथ ऐसा ही हुआ ! जिसके कारण भारत 462 साल तक पोर्तुगीजो का और 190 साल तक अंग्रेजो का ग़ुलाम बन कर रह गया ! सालो से भारत सब यूरोपी देशो के साथ मरी मसालों का व्यापार करता था , मांस को लंबे समय तक अच्छा रखने के लिए मरी मसाले जरूरी नही बल्कि अति आवश्यक थे । जिसमें दालचीनी , ताल पत्र , लविंग और अन्य मरी मसाले जरूरी थे । अब ये व्यापार बिचौलिए जैसे अरबो व अफ्रिकनो के जरिये चलता था । जिसके जरिये इन मरी मसालों का सप्लाय यूरोप तक नियमित चलता रहा तब तक सब अच्छा रहा लेकिन जिस घटना के कारण भारत ग़ुलाम बना वह घटना बिल्कुल सामान्य थी ।
भारत से मरी मसाला खरीदने वाले अफ्रीकी और अरब सौदागर पूरा माल लेकर अरबी समुद्र में चलने के बाद जमीन के रास्ते सारा माल तुर्की के कॉन्सटेंटीनोपल नगर तक पहुंचाते थे । आज की तरह उस समय भी नगर का कुछ हिस्सा अफ्रीका और यूरोप में था। नगर को दो भाग में बाटने वाली बोस्पर्स की सामुद्रिधुनि सिर्फ 31 किलोमीटर चौड़ी थी । इसलिए उसी सकरे रास्ते से पूरा माल यूरोप तक पहुंचाया जाता था। हकीकत में दूसरा कोई रास्ता ही नहीं था । सन 1453 में तुर्की के मुहम्मद दूसरे ने कॉन्सटेंटीनोपल को जीत लिया और मरी मसाले की हेरफेर बंद कर दी । परिणम यूरोपियनों को भारत की ओर का दूसरा समुद्री रास्ता ढूंढने निकलना पड़ा ! इस प्रयास में कोलम्बस तो गलत दिशा में अमरीका चला गया लेकिन 1498 में वास्को डी गामा और उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के अंग्रेजो ने भारत का पता लगा लिया , जो भारत के लिए लंबी ग़ुलामी काल की शरुआत थी । और उसके लिए तुर्की में घटी घटना जिम्मेदार थी !
02 तैमूर लंग की भविष्यवाणी कैसे सच हुई ?

सन 1398 में दिल्ली पर चढ़ आने वाले तैमूर लंग जैसा संहारक दुनिया ने आज तक नही देखा ! उसने दिल्ली के सब नगर जनों की कत्ल करवाकर समरकंद का तैमूर लंग जैसे काल बन कर आया था । इजिप्त , अफगानिस्तान , ईरान , दक्षिण रशिया और पश्चिम एशिया पर हकूमत स्थापित करने के बाद वह चीन के सामने हुआ और उस अभियान में उसकी मौत हुई । उसका मृतदेह समरकंद में दफनाया गया था । वहां बड़ी कब्र बनाई गई थी । साम्यवादी रशिया ने सन 1924 में समरकंद समेत पूरे उज़्बेकिस्तान को अपनी सीमा में मिला दिया । रशिया के सरमुख्त्यार जोसेफ़ स्टॅलिन ने समरकंद में आई तैमूर लंग की कब्र होने की शंका हुई । उसने जांच के लिए कुछ सेना अधिकारी को भेजे । कब्र जब खोदी गई तो उसमे से मानव अस्थि मिली , साथ ही एक तकती भी मिली ! जिस पर लिखा था , ‘ मेरी कब्र खोदकर जो मुझे परेशान करेगा , उस पर दुश्मन मुझसे भी अनेक गुना घातकी हमला करेगा ! ‘ तैमूर की ये भविष्यवाणी थोड़े ही समय मे सच हुई । ठीक एक सप्ताह बाद जून 22 , 1941 के दिन हिटलर ने 150 डिवीजनों का बना सैन्य रशिया पर चढ़ा दिया । दूसरे विश्वयुद्ध के ये सबसे भीषण संग्राम था । जिस में सब मिलकर 1 ,36 , 00,000 रशियन सैनिक और नगर जनों ने अपनी जान गवाई। लेनिनग्राद की रक्षा के लिए लड़ने वाले 15,00,000 सैनिक , रहीश और स्वयंसेवक मारे गए । हिटलर के आक्रमण के कारण रशिया को 2500 अरब डॉलर का नुकशान हुआ ।
03 मुंबई में बस में चढ़ने के लिए क्यू लगाना कब से शरू हुआ ?

सन 1926 के अरसे में मुंबई में बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाय एंड ट्राम वे / BEST कंपनी ने मुंबई में शरू की । कंपनी ने 12,000 की क़ीमत की 26 बसों का काफिला बनाया था । जो उस समय की बस्ती के हिसाब से काफी थी । क्योंकि मुंबई की बस्ती का समय बहुत कम थी । दो साल बाद यानी सन 1928 में बेस्ट कंपनी ने बस स्टॉप पर खड़े रहने वाले पेसेंजरो के लिए एक शिररस्ता दाखिल किया । यानी एक नियम या परम्परा ! जो भारत मे और मुंबई में पहलीबार था !
मुंबई में जुलाई 15 , 1926 के दिन अफ़ग़ान चर्च और क्रॉफर्ड मार्केट के बीच पहली बस सर्विस शरू करने के बाद बेस्ट कंपनी ने देखा कि बस स्टॉप पर मुसाफ़िर बस में चढ़ने के लिए धक्कम धक्का करते है । इसलिए कंपनी ने सन 1928 में क्यू लगाने की परंपरा या नियम लागू किया । लाइन बनानी एयर अपनी बारी आने पर बस में चढ़ना भारतीय के लिए नई बात थी । भारत मे क्यू की कोई प्रथा ही नहीं थी । आज है , फिर भी नही है ! एक फ़िल्म स्टार तो ये कह भी चुके है कि ‘ हम जहां खड़े हो जाते है , लाइन वही से शरू होती हैं ! ‘
04 जग्गनाथ मंदिर का किचन !

भारत के प्राचीन जग्गनाथ मंदिर उसकी धार्मिक महिमा और उसके 15,000 वर्ग फिट में फैले किचन के लिए जाना जाता हैं । क्योंकि किचन में 752 चुल्है है ! विविध आकार व कद के मिट्टी के पात्र है जिसमे रसोई बनाई जाती हैं । एक ही पात्र का दूसरी बार इस्तेमाल नही किया जाता । इसलिए लगभग 100 कुम्हार हर दिन नए नए पात्र बनाते रहते हैं । सदियो पुराने इस मंदिर में 600 रसोई बनाने वाले , 400 जितने मददनिश है । सब चूल्हे मिट्टी के है । रसोई का पानी नजदिक की गंगा और जमुना नाम से जाने जाते कुएं से लाया जाता हैं । प्रसाद के लिए हररोज लगभग 100 तरह की मिठाई पकाई जाती हैं । सबसे ज्यादा जथ्था चावल का होता है । जिसमे से निकलने वाला पानी रसोई के बाहर कुंड में इकठ्ठा होता है । मंदिर की गाय उसे पी जाती हैं ।
05 सटीक नाम से चलते बिजनेस !

हौंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड के हरेक टू व्हीलर का नाम 7 अक्षरो का होता है जिसमे आखरी शब्दो मे er ही रहता है । जैसे Twitter , Stunner , Dazzler , Trigger नाम पसंद किए जाते है ! इस तरह के नाम रखे तो टू व्हीलर की बिक्री अच्छी होती है , शुकन होता है , ऐसा मान लिया गया है । सामान्य रूप से बाजार में इस तरह का विश्वास हरेक अपनी तरह से रखता है । इसी तरह सामान्य रूप से SUV बनाने वाले महिंद्रा कंपनी के कर्ता हर्ता आनंद महिंद्रा उनके वाहन के लिए भी कुछ अक्षर पसंद करते है । फ़ॉर व्हीलर वाहन के लिए चयन किये जाने वाले नाम का आखरी अक्षर O होता है । सबसे पहली कार Bolero की बिक्री अच्छी हुई थी । इसलिए उसके बाद कि हरेक फ़ॉर व्हिकर वाहन के लिए इसी तरह से नाम रखा जाता हैं । Scorpio , Xylo जैसे नाम पसंद किए गए । सन 2013 में XUV – 5OO बनी ! जिसका उच्चार Five dubble O किया जाता हैं ।